कौन कहता है वक़्त कभी रुकता नहीं
कभी किसी लम्हे को 'जी'कर देखा है?
या ज़िंदगी को कभी समझा है?
कभी ऐसा भी करके देखो
वक़्त वहीं थम जाता है
कभी किसी नवजात बच्चे को ऊँगली थमाई है?
या कभी उस बच्चे की हँसी को दिल में उतारा है?
कभी ऐसा भी करके देखो
वक़्त वहीं थम जाता है
कभी अमरुद चुराते पकड़े गए हो?
या कभी डाँट के डर से बिस्तर के नीचे छिपे हो?
कभी ऐसा भी किया हो तो कहते
वक़्त वहीं थम जाता है
कभी पहाड़ों की सैर की है?
या नदी के पानी को महसूस किया है?
कभी ऐसा भी करके देखो
वक़्त वहीं थम जाता है
क्या प्रेमी की आँखों में कभी सलीके से झाँका है?
या बत्ती गुल होने पर डरकर उससे लिपटे हो?
कभी ऐसा भी करके देखो
वक़्त वहीं थम जाता है
कभी कोशिश की है दादी की कहानियों का पिटारा खोलने की?
या पापा की मेहनत में कभी हाथ बँटाकर देखा है?
कभी ऐसा भी करके देखो
वक़्त वहीं थम जाता है
कभी बारिश के पानी में तुम छपक-छपक कर कूदे हो?
या उस मिट्टी की खुशबू से ओत-प्रोत नहाए हो?
कभी ऐसा भी करके देखो
वक़्त वहीं थम जाता है
कभी चित्र उकेरा है कागज़ पर?
हाथ रंगों से सजाए हैं?
कभी ऐसा भी करके देखो
वक़्त वहीं थम जाता है
कभी पढ़ी कविता है जीवन की?
या कहानी अपनी सुनाई है?
कभी ऐसा भी करके देखो
वक़्त वहीं थम जाता है
👏👏👏👏👏
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