वो खतों का दौर था
जब लोगों की बातें होती थी
अब दौर वो है आ गया
जब बातों से लोग होते हैं
वो इंतज़ार एक पन्ने का
वो कागज़ में लिपटी हुई बातें
वो बेसब्र से लम्हें
वो हल्की-फुल्की यादें
रातो को करवट लेना
साँसों का यूँ ही बस ऊपर-नीचे होना
वो तेज़-सी धड़कन और बंद-सी ज़ुबान
सब उस स्पर्श का हिस्सा है
जो पन्ना एक कराता था
हर शब्द में दिल के राज़ थे
कुछ अनसुलझे-से ख्वाब थे
अब बातों से ही लोग हैं
तब लोगों से कुछ बातें थी
जब लोगों की बातें होती थी
अब दौर वो है आ गया
जब बातों से लोग होते हैं
वो इंतज़ार एक पन्ने का
वो कागज़ में लिपटी हुई बातें
वो बेसब्र से लम्हें
वो हल्की-फुल्की यादें
रातो को करवट लेना
साँसों का यूँ ही बस ऊपर-नीचे होना
वो तेज़-सी धड़कन और बंद-सी ज़ुबान
सब उस स्पर्श का हिस्सा है
जो पन्ना एक कराता था
हर शब्द में दिल के राज़ थे
कुछ अनसुलझे-से ख्वाब थे
अब बातों से ही लोग हैं
तब लोगों से कुछ बातें थी