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Thursday, 28 December 2017

महँगी होती इंसानियत

हँस लो यारो
हँसी तुम्हारे आईफोन से भी महँगी होने वाली है
आज लोग आईफोन को तरसते हैं
कल हँसी को तरसेंगे
वो दिन दूर नहीं
जब कह रहे होंगे हम
कि यारो!
साँस ले लो
ऑक्सीजन की कीमत चुकाने का
वक़्त आ गया है
हर चीज़ जिस की कीमत
आज नहीं मालूम है तुम्हें
हर उस चीज़ पर जान लुटाओगे तुम
फिर भी कीमत नहीं
चुका पाओगे तुम
खुद को इंसान कहने वाले ही
प्रकृति की इंसानियत
के बोझ तले
दबे हैं
और कितना खुद को नीचे
गिराओगे तुम
ये जो नाम मिला है तुम्हें
इसने नदी, हवा, धरती, अंबर
मन, शरीर, विचार, शब्द
सबको गंदा कर दिया है
हाँ वो दिन भी दूर नहीं
जब इंसान भी
न कहलाओगे तुम



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