पतझड़ बेरुखी का प्रतीक है
और दुःख का
क्या आसान है पतझड़ के लिए
पतझड़ होना?
यूँ हर गम का कारण
ठहराया जाना?
मन के भारीपन के लिए
बेवजह बातें सुनना?
क्या आसान है पतझड़ के लिए
पतझड़ होना?
न सावन न जाड़ा
किसी को कुछ न कहा जाता है
पतझड़ का मानो हर गम से नाता है
खिड़की पर बैठ यूँ
गिरते पत्तों का कारण
पतझड़ को ही ठहराते हैं
क्या आसान है पतझड़ के लिए
पतझड़ होना?
पतझड़ भी तो आखिर
गिरते पत्तों को देखता है
सूखे पत्तों को कुचला जाता
देखता है
पतझड़ भी तो
फूलों को मुर्झाता देखता है
प्रकृति के सभी रंगों को
फ़र्श पर बिखरता देखता है
क्या आसान है पतझड़ के लिए
पतझड़ होना?
पतझड़ भी देखता है
वो वीरान पेड़
वो उदास चेहरे
पतझड़ भी तो घूँट
बेबसी के पीता है
क्या आसान है पतझड़ के लिए
पतझड़ होना?
पतझड़ खुद को देख
मुस्कुरा क्यों न पाता है?
उन बिखरे पत्तों पर चलकर भी
तो कितने चेहरे मुस्कुराते हैं
और चारों ओर उड़कर
पत्ते हवा में
संगीत घोल जाते हैं
फिर भी पतझड़
सबके गम में गमगीन
उदासी में उदास होता है
और सोचता है
वो सावन, या गर्मी
या कोई और मौसम
क्यों न हुआ?
क्या सच, इतना आसान है
पतझड़ के लिए
पतझड़ होना?
चित्र साभार: puisiayuevie.blogspot.com
बहुत सुंदर कविता
ReplyDeleteधन्यवाद! राजू
DeleteMast..
ReplyDeleteThank You!!
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