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Sunday, 30 December 2018

चलो! होश में आओ

जहाँ जिस जगह पर हो
वहीं रहोगे तो ना जाने
कहाँ तक जाओगे
कि कुछ दूर चलो
लड़खड़ाओ
संभलो
गिरो, उठो
कभी तो चलना सीख जाओगे

कि इंसान हो
क्या भूल गए हो?
या मुख़ातिब हो आजकल
किसी और ख्याल से?
कि बस चंद लम्हों
कि ज़िन्दगी में
सोचते हो कि
न जाने कहाँ पहुँच पाओगे!

अपनी शाख को संभाले हुए हो
और जड़ें नोच खा रहे हो
कि ये ख्वाब नहीं
तुम बिखर रहे हो
कब बताओ
होश में आओगे?

Friday, 21 December 2018

हम बिहारी हैं ना..


भारत- इस देश में बिहारी होना किसी विकलांगता से कम नहीं है। हज़ारों लोग, लाखों भाषाएँ, और ना जाने कितने ही वर्ग, पर निशाना केवल एक पर ही सधता है। जी हाँ! बिहारियों पर। भारत में कोई व्यक्ति कहीं भी जाए, किसी भी  साक्षात्कार के लिए, सबसे पहला सवाल होता है कि 'तुम कहाँ से हो?' और बस, एक बार कहने की देर है- बिहार, और सामने वाले के दिमाग़ में उस व्यक्ति का पूरा-का पूरा बायोडाटा बन जाता है। मानो किसी एक राज्य से होना ही उसकी पहचान हो।
क्या सच में बिहारी होना इतना बुरा है? मेरी मानो तो..हाँ! हर बिहारी के मन में एक बार ये बात ज़रूर आती है कि 'काश! मैं बिहार में नहीं, कहीं और जन्मा होता'। अगर अपने अनुभवों की बात करूँ तो मैंने आये दिन अपने आस-पास बिहारियों का मज़ाक बनते, कुछ भी आम से अलग होने पर 'तो क्या हुआ, वो बिहारी है ना' कहते सुना है, और कई बार खुद भी इसका शिकार हुई हूँ।
पर विडंबना ये है कि वही लोग जो एक बिहारी को 'बिहारी' कहकर गाली देते हैं, वही नालंदा, आर्यभट्ट, डॉ. राजेंद्र प्रसाद और ना जाने कितने ही महान लोगों और जगहों का नाम लेते नहीं थकते। वो ये भूल जाते हैं कि भारत को इतनी बड़ी देन बिहार से ही मिली है। इसी राज्य के लिट्टी चोखा का स्वाद एक बार किसी की ज़ुबान पर चढ़ जाए तो कभी उतर नहीं पाता। इसी राज्य के उस पर्व-  छठ को सबसे कठिन तपस्या कहा जाता है, जिसे यहाँ के लोग बड़ी सरलता से पूरा कर जाते हैं पर दूसरा कोई नहीं कर पाता।
बिहार आज विकास के मामले में पीछे ज़रूर है, किंतु ये सिर्फ राजनीतिक भिड़ंतों का नतीजा है, केवल एक कमी है, जिसे दूर किया जा सकता है। आज भी देश के सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा यूपीएससी में सबसे ज्यादा छात्र बिहार से ही जाते हैं। जी हाँ, ये उसी बिहारी की जन्मभूमि है जिसे 'असभ्य ' का पर्याय कहा जाता है।
मैं भी एक बिहारी हूँ। मेरा लहजा बाकि किसी भी दूसरे राज्य के लोगों की तरह ही है। पर ये मुझे कम बिहारी नहीं बनाता। मेरा लहजा मेरी पहचान नहीं है। पर अगर मैं अपना लहज़ा बदलकर एक बिहारी की तरह बात करूँ तो मैं पहचान ली जाउंगी। और फिर वही मज़ाक बनाने का क़िस्सा शुरू। और ऐसा हुआ भी है।
किसी भी व्यक्ति को सिर्फ इसलिए नीची नज़र से देखना क्योंकि वो किसी एक राज्य से आया है, या किसी लहजे में बात करता है, न जाने किस सभ्यता की निशानी है। एक बिहारी औरों से अलग हो सकता है, पर वह भी उतना ही इंसान है जितना कोई और। रंग-ढंग में निराले ये बिहारी अपनी ही धुन में मस्त रहते हैं। ज्यादा फर्क नहीं पड़ता इन्हें कि कौन इन्हें क्या कहता है। वो जानता है- अपनी और अपने राज्य कि पहचान। कोई माने या ना माने..'एक बिहारी सब पे भारी' यूँ ही नहीं कहते! बिहारी होना मुश्किल ज़रूर है भारत में, पर यह ही तो उसे सबसे अलग बनाती है। 'बिहारी होना बहुत मुश्किल है।'

चित्रसाभार:-
bankersadda.com

Trying To Be

I'm not a stranger to myself I'm just trying to be To let someone else Know me The way I tried and lost Though I know myself...