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Saturday, 30 December 2017

If I Ever Have A Daughter


If I ever have a daughter
I would call her just my child
And not define her by her gender
I will teach her how to fly
But keep her roots grounded
She will never be called weak
She'll be a warrior
A fighter
A conqueror
She will wear what she wishes to
Because clothes are not her dignity
Its her soul
I will teach her about her body
Because sex is not a taboo
If I ever have a daughter
She'll be my pride
She will be the owner of her life
Because she would know its value
There would be words written for her
But words would never be enough to define her

Thursday, 28 December 2017

महँगी होती इंसानियत

हँस लो यारो
हँसी तुम्हारे आईफोन से भी महँगी होने वाली है
आज लोग आईफोन को तरसते हैं
कल हँसी को तरसेंगे
वो दिन दूर नहीं
जब कह रहे होंगे हम
कि यारो!
साँस ले लो
ऑक्सीजन की कीमत चुकाने का
वक़्त आ गया है
हर चीज़ जिस की कीमत
आज नहीं मालूम है तुम्हें
हर उस चीज़ पर जान लुटाओगे तुम
फिर भी कीमत नहीं
चुका पाओगे तुम
खुद को इंसान कहने वाले ही
प्रकृति की इंसानियत
के बोझ तले
दबे हैं
और कितना खुद को नीचे
गिराओगे तुम
ये जो नाम मिला है तुम्हें
इसने नदी, हवा, धरती, अंबर
मन, शरीर, विचार, शब्द
सबको गंदा कर दिया है
हाँ वो दिन भी दूर नहीं
जब इंसान भी
न कहलाओगे तुम



सरहदें

कल जो बातें जोड़ती थी हमें
आज उन्होंने ही सरहदें बना दी है
लगता ही नहीं की इंसान हैं हम
शायद सरहदें देखकर
पड़ोसी देश हो चले हैं हम
जो लाईन ऑफ़ कंट्रोल से
एक दूसरे पर नज़र रखते हैं
सामने कोई हरकत होने पर
जवाबी हमला भी करते हैं
पर कोई पूछ ले हम से
एक-दूसरे के बारे में
तो यूँ मुँह फेर लेते हैं
मानो कोई वास्ता ही न हो
एक दूसरे से
सच! सरहदें बाँट देती हैं
पर खुद कभी नहीं बँटती
तो क्यों न सरहदें ही बन जाए हम
एक दूसरे की
पड़ोसी देशों की सरहदें एक होती हैं न
सरहदों की तो सरहद नहीं होती न
तो आओ चलो सरहद बन जाए
आओ चलो एक हो जाए
और सारी दुनिया को
पड़ोसी देश बना ले अपने


Tuesday, 26 December 2017

खुद को भी इंसान बनाकर बताओ तो जाने

हाँ पंख नहीं है तुम पे
फिर भी आकाश में उड़ना आसान है
कभी ज़मीन पर बिन लड़खड़ाये
चलकर बताओ तो जाने
हर वक़्त दौड़ते फिरते हो
आगे बढ़ने की होड़ में
एक लम्हा थमकर
जीकर बताओ तो जाने
चेहरे पे चेहरे लगा रखे हैं
कचरे से चेहरा सजाये बैठे हो
कभी अपने-आप को भी सबको
दिखाकर बताओ तो जाने
ईंटों से दीवार बनाते जा रहे
सपनों के संसार बनाते जा रहे
कभी मिट्टी के टीले
बनाकर बताओ तो जाने
हर रोज़ नए मकान सजाते रहते हो
रिश्तों के बाज़ार बनाते जा रहे
मकान तो हर कोई बना लेता है
अपनों से घरबार
बनाकर बताओ तो जाने



Tuesday, 19 December 2017

I Think


I think and think and think
At times when I'm alone
At times when people look at me
At times when no one's watching
Though my thoughts
Don't appear on my face
But the process is reflected well
Still, I think
I think I'm the master of my own world
Though I'm not
In fact, I have several masters to be named
And no
They aren't my parents
Or my teachers at school or college
No they aren't my friends
Or the experiences of my life
Those masters are
Pretty close actually
My masters are my fears
And my anxieties
They are the rules that bind me
My master is the society
And the famous chaar log
My master are the norms
That some nobody created
Yes, I'm the master of no one
In fact, I'm a slave to my masters
I'm a slave at service
A slave on duty
But don't you misjudge me
My duty is not bowing to my weaknesses
My duty is to rise up above
My duty is to grow enough
To be a student
And not a slave
I think of my hairs
Long and open
Free to be tangled by the wind
I think of my lips
Not trembling with fear
But murmuring the lyrics of a song
I think of those invisible wings
That grow on me
And take me to the skies
I think, because I'm the controller
Of my thoughts
If not the master of my world
I think again
Because there's no 'my world '
I think
Because I'm free to think

Trying To Be

I'm not a stranger to myself I'm just trying to be To let someone else Know me The way I tried and lost Though I know myself...