आज
पहली बार सुना ऐसा कुछ। ऐसी
प्रथा भी है हमारे समाज में
इसका पता नहीं था।
यह
प्रथा है केरल और उसके आस-पास
के इलाकों की।केरल अपने मसालों
के लिए विश्व प्रसिद्ध है,
तथा
हमेशा से रहा है। इन्हीं मसालों
के लिए अरबी यहाँ आते रहे हैं।
यहाँ
आने पर वे कुछ समय रहते और इस
छोटे से वक्त(महीने
भर या उससे थोड़ा ज्यादा)
में
अपने मनोरंजन के लिए किसी गरीब
घर की लड़की से शादी करते,
उसके
साथ संबंध बनाते और वापिस जाते
वक्त उसे तलाक़ दे जाते। कभी-कभी
तो तलाक वापिस लौटने के बाद
टेलीफोन पर दिए जाते। इस शादी
के लिए लड़की के घर वालों को
पैसे दिए जाते।
अब
आप ही बताइए,
क्या
लड़कियाँ (भले
ही वो गरीब क्यों न हो)
काई
सामान या खिलौना है जिसे खरीद
लिया और मन भर जाने पर वापिस
छोड़ दिया किसी जगह सड़ने को।
कैसे लोग हैं हमारे समाज में..जो
ऐसी कुरीतियों को बढ़ावा देते
हैं। चंद पैसों के लिए अपनी
खुद की जनी संतान को बेच देना।
क्या गलती है उसकी..कि
वो एक लड़की है़़ ?
हर
जगह हर हाल में लड़कियाँ क्यों
बली चढ़ती इन प्रथाओं की। सच
बताऊँ तो मुझे ऐसे किसी कल्यानम
(शादी)
के
बारे में पता नहीं था। आज एक
टीवी प्रोग्राम पर देखा तो
मालूम हुआ।
लोग
बड़ी-बड़ी
बातें करते है महिला सशक्तिकरण
की,
उनकी
सुरक्षा की फिर कहाँ से आती
हैं ये दखिया-नूसी
परंपराएँ।ये दिखावा बंद करना
होगा अब और कदम बढ़ाने होंगे।
औरतों के लिए कुछ करने की हिम्मत
नहीं है तो उनपर उँगली भी न
उठाए कोई।
आज
के समय में जब हर क्षेत्र में
इतना विकास हो चुका है,
और
हो रहा है..वहाँ
आज भी ऐसी कुरीतियों का ज़िदा
होना बेहद शर्म की बात है।
क्या फ़ायदा इस तरक्की का जब
लोगों की सोच वही सदियों पुरानी
है। एक तरफ लोग लड़कियों की
इज्ज़त के रखवाले होने के दावे
करते हैैं वहीं दूसरी ओर वही
लोग हर दूसरे हफ्ते किसी
बलात्कार को अंजाम देते है।
ऐसी दोहरी मानसिकता वाले लोग
हमारे समाज का वो घुन हैं जिसे
हम खुद आश्रय दे रहे हैं और जो
हमें ही खोखला कर रहा है।
एक
अच्छे समाज के लिए इन भद्दी
रीतियों के फितूर को लोगों
के सर से उतारना जरुरी है ताकि
इनके नाम पर होने वाले कुकर्म
बंद हो। क्योंकि चाहे आधुनिकता
कितनी ही क्यों न बढ़ जाए और
सभ्यताएं कितनी ही क्यों न
बदल जाए,
एक
अच्छे समाज का निर्मान अच्छे
मन,
अच्छी
सोच व अच्छे लोगांे से ही होता
हैै।
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