जमशेदपुर क्या है? माना कि ये अपने स्टील इंडस्ट्रीज के लिए जाना जाता है, पर क्या ये बस इन्हीं तक सीमित है?
नहीं। जमशेदपुर कहने को तो बस एक इंडस्ट्रियल सिटी है पर यहाँ रहने वाले किसी से पूछ कर देखिये! यादों का और एहसासों का एक ऐसा पिटारा खुलेगा जो आपकी सोच को बदल देगा।
इस क्लीन और ग्रीन सिटी में रहने वाले हर बच्चे का बचपन टाटा ज़ू के उछलते कूदते जानवर और जुबिली पार्क के खूबसूरत गुलाब देखकर बीतता है। ऐसा शायद ही कोई व्यक्ति हो जिसने गोलपहाड़ी मंदिर की चढ़ाई न की हो या साकची बाज़ार की भीड़ में पसीना न बहाया हो। फिर आमबगान में लगने वाला डिज़्नी लैंड मेला कौन भूल सकता है भला! चाहे गणेश पूजा हो या दुर्गा पूजा, यहाँ हर त्यौहार उतनी ही धूमधाम से मनाया जाता है। छठ पूजा का उल्लास और सरस्वती पूजा के वक़्त छोटी-छोटी लड़कियों को साड़ी पहनकर घूमते देखना अलग ही आनंद देता है। जितने अलग यहाँ त्योहारों के नाम हैं, उतने ही निराले ढंग से यहाँ इन्हें मनाया जाता है।
इस समतल ज़मीन से जब बाहर से आये लोगों को दलमा के हरे-भरे पहाड़ नज़र आते है तो उनके लिए इस बात को हज़म करना ज़रा मुश्किल हो जाता है। उस पर खड़काई और दोमुहानि से लगकर बना मरीन ड्राइव सबका मन मोह लेता है। सुबह-शाम राज्य पक्षी कोयल के गानों से भला जमशेदपुर में कौन वाकिफ़ नहीं!?
जिस तरह लोग जमशेदपुर में बसते हैं, उसी तरह यहाँ के हर इंसान में उसका अपना जमशेदपुर बसता है।
यह शहर कहने को तो बहुत पुराना है, पर विकास के इस दौर में यह बदलाव से कदम मिलाकर चला है। समय के साथ यहाँ शौपिंग मॉल, मूवी थिएटर, रेस्ट्रॉन्ट और होटल, ऊँची इमारतें सब बन गए हैं। आज ऐसी कोई चीज़ नहीं जिसके लिए किसी को यहाँ से बहार जाना पड़े। खनिज के उपयोग के साथ-साथ यह शहर चीज़ों की उपयोगिता भी खूब जानता है। इस्तेमाल किये हुए प्लास्टिक के उपयोग से सड़कों का निर्माण इसका मात्र एक उदाहरण भर है।
यह शहर कहने को तो बहुत पुराना है, पर विकास के इस दौर में यह बदलाव से कदम मिलाकर चला है। समय के साथ यहाँ शौपिंग मॉल, मूवी थिएटर, रेस्ट्रॉन्ट और होटल, ऊँची इमारतें सब बन गए हैं। आज ऐसी कोई चीज़ नहीं जिसके लिए किसी को यहाँ से बहार जाना पड़े। खनिज के उपयोग के साथ-साथ यह शहर चीज़ों की उपयोगिता भी खूब जानता है। इस्तेमाल किये हुए प्लास्टिक के उपयोग से सड़कों का निर्माण इसका मात्र एक उदाहरण भर है।
चाहे सोनारी का साई मंदिर हो या रुसी मोदी सेंटर के सामने का पिरामिड, चाहे जे आर डी टाटा स्पोर्ट्स ग्राउंड हो या बिस्टुपुर का गोपाल मैदान, आकर्षण के केंद्र यहाँ कम नहीं हैं।
ये तो बस तस्वीर का एक भाग है। ऐसे जाने कितने भाग हर जमशेदपुरवासी के अंदर बसते हैं। हर व्यक्ति इस शहर को अलग नज़र से देखता है। हर किसी की अपनी कहानी है, हर किसी के अपने अनुभव। कहने को..तो ये बस एक शहर भर है, पर ये सिर्फ एक शहर नहीं यहाँ के लोगों का एक हिस्सा है।
चित्र: जमशेदपुरसिटी